उपभोक्ता व्यवहार में बड़ा बदलाव, शहरों में वैल्यू तो गांवों में ब्रांड बना प्राथमिकता
व्यापार : भारत में लोगों के पैसे खर्च करने का तरीका बदल रहा, खासकर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में। शहरी और ग्रामीण उपभोग के बीच पारंपरिक अंतर बदल रहा है। एमके रिसर्च की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार शहरी उपभोक्ता अब ब्रांड के प्रति अधिक उदासीन हो रहे हैं और वैल्यू पर ध्यान केंद्रीत कर रहे हैं। वहीं ग्रामीण उपभोक्ता तेजी से ब्रांडों को अपना रहे हैं और ब्रांड के प्रति अधिक जागरूक हो रहे हैं।
शहरी उपभोक्ताओं का रुझान
शहरों में उपभोग की मात्रा धीमी हो रही है और लोग अब पैकेजिंग, मूल्य निर्धारण और सुविधा पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। मानसिकता में यह बदलाव शहरी उपभोक्ताओं को बेहतर मूल्य वाले उत्पादों को चुनने के लिए प्रेरित कर रहा है, भले ही इसका मतलब लोकप्रिय ब्रांडों से दूर जाना हो।
ग्रामीण उपभोक्ताओं का रुझान
दूसरी ओर, ग्रामीण उपभोक्ताओं में विपरीत रुझान देखने को मिल रहा है। वित्त वर्ष 2025 में ग्रामीण क्षेत्रों में सूचीबद्ध ब्रांडों की वृद्धि में तेजी आई है। यह दर्शाता है कि ग्रामीण भारत अधिक आकांक्षी बन रहा है। वे ब्रांडेड उत्पादों पर अधिक खर्च करने को तैयार हैं और उनमें ब्रांड के प्रति जागरूकता बढ़ रही है।
शहरों में गैर-जरूरी वस्तुओं पर खर्च में आई कमी
हालांकि प्रीमियम उत्पादों की मांग अभी भी बनी हुई है, लेकिन हाल ही में प्रीमियमीकरण की दर धीमी हो गई है। साथ ही, शहरी उपभोक्ता मूल्य, गति और सुविधा पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इस बदलाव के कारण गैर-जरूरी वस्तुओं पर खर्च में भी कमी आ रही है।
शहरी और ग्रामीण उपभोग के बीच की रेखा हुई धुंधली
रिपोर्ट में एक और दिलचस्प बात यह बताई गई है कि शहरी और ग्रामीण उपभोग के बीच की रेखा धुंधली होती जा रही है। ग्रामीण समाज के उच्च वर्ग और शहरों में रहने वाले मध्यम आय वर्ग के लोगों की खरीदारी का पैटर्न अब एक जैसा हो गया है। इससे पता चलता है कि बढ़ती आय के साथ भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बदल रही है, और खरीदारी का पैटर्न भी।