बजट के अभाव में ईलाज को भटक रहे पुलिस कर्मी, भुगतान में लेट लतीफी पर प्रायवेट अस्पतालों ने किये हाथ खड़े
भोपाल। बार-बार कर्ज लेने के बाद भी प्रदेश सरकार के सामने बड़ा आर्थिक संकट है इसका साफ असर पुलिस वेलफेयर के कामों पर नजर आने लगा है राजधानी के पुलिस कर्मी बजट की कमी के कारण गंभीर बीमारियों के ईलाज से वंचित हो रहे हैं, पैसों की कमी का फिलहाल केाई हल नहीं निकल रहा है। नतीजा कुछ निजी अस्पतालों का भुगतान नहीं होने से अस्पताल प्रबंधन ने पुलिसकर्मियों का ईलाज करना बंद कर दिया है। नये शहर की एक नामचीन अस्पताल को तो साढे चार करोड़ रूपये की पुलिस से लेनदारी है।
राजधानी में कुल 5 हजार 600 पुलिसकर्मी तैनात है इनमें से साढ़े 14 सौ पुलिस लाईन में ही तैनात है जिनमें से रोज 20-25 लोग बीमारी के कारण छुट्टी पर रहते हैं ऐसी स्थिति थानों में भी तैनात पुलिसकर्मियों की है इनमें से भी अधिकतर बीमार रहते हैं, बी.पी.,शुगर की समस्या तो आम है किन्तु कई तो गंभीर बीमारियों से भी ग्रसित है। भोपाल जिले में कुल 40 थाने हो गये हैं इनमें से 32 थाने कमिश्नर सिस्टम में आते हैं जो शहरी इलाके में है इन थानों में 4 हजार 150 पुलिस कर्मी शामिल है पुलिस मुख्यालय ने इन लोगों के ईलाज के लिये कुछ अस्पताल चिन्हित किये हैं जिनमें सभी तरह की बीमारियों के ईलाज कराने की सुविधा है इन अस्पतालोें में ईलाज का पैसा पुलिस वेलफेयर सोसायटी के माध्यम से अदा किया जाता है, नये शहर की चिन्हित एक अस्पताल को पुलिस कर्मियों के ईलाज के साढ़े चार करोड़ रूपये लेना है इस कारण इस अस्पताल प्रबंधन ने अब पुलिसकर्मियों का ईलाज करना ही बंद कर दिया है। ऐसी ही कई अस्पतालें हैं जिनके भुगतान में 6 से लेकर 10 महिने तक का विलंब हो रहा है।
पुलिस अस्पताल बना शो पीस
पुलिस वेलफेयर सोसायटी के द्वारा जहांगीराबाद पुलिस कंट्रोल रूम के पास पुलिस अस्पताल का संचालन किया जाता है किन्तु डाॅक्टरों की कमी के कारण यह अस्पताल शो पीस बनकर रह गया है वैसे भी अस्पताल में अच्छे डाॅक्टरों का हमेशा ही टोटा रहा है, पुलिस अस्पताल में सिर्फ सामान्य परीक्षण ही किया जाता है यहां परीक्षण एवं उपचार की कोई विशेष सुविधा नहीं है। यह अस्पताल 7वीं बटालियन की देखरेख में संचालित किया जाता है, जिसके प्रभारी ए.डी.जी. रैंक के अधिकारी होते हैं, शहर के कोई 3 दर्जन से अधिक अस्पतालों को पुलिसकर्मियों के उपचार के लिये चिन्हित किया गया है जहां साधारण के अलावा गंभीर बीमारियों का भी ईलाज किया जा सकता है।
सेन्ट्रल गर्वन्मेंट हेल्थ स्कीम
पुलिस वेलफेयर सोसायटी द्वारा सेन्टर गर्वंमेंट हेल्थ स्कीम के तहत् शहर के चिन्हित अस्पतालों में पुलिस कर्मियों को ईलाज की सुविधा प्रदान की जाती है, लेकिन बताया जाता है कि पुलिस वेलफेयर सोसायटी इन अस्पतालों को भुगतान करने में लंबा समय लेती है कुछ अस्पताल प्रबंधकों का कहना है कि पुलिस द्वारा 6-8 महिने के बाद ही भुगतान आता है ऐसी स्थिति में हमें अस्पताल का संचालन करना बहुत मुश्किल होता है।
’बजट की समस्या तो कभी-कभी आती है, लेकिन चिन्हित अस्पतालों को भुगतान की प्रक्रिया इतनी लंबी है कि उसमें 8-10 माह लग जाता है- अनिल कुमार, ए.डी.जी., पुलिस वेलफेयर सोसायटी